जब भी बोझिल कंधे मेरे,
थक जाएं ये बीच राह में,
तब मैं अपने घर आता हूं।
राह अंधेरी, रात अकेला,
चलता जाता मैं अलबेला,
जब जब भी मैं डर जाता हूं,
तब मैं अपने घर आता हूं।
कितना मुश्किल ये जीवन है,
पाना मुझको तन और धन है,
मन ही ना लग पाए जब तब
ज़िंदा रहकर मर जाता हूं
तब मैं अपने घर आता हूं।।
Superb...🙂
ReplyDeleteWow Aashu your all poetries are awesome..
ReplyDeleteAll due to great admirers like you. Thank you
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